इस गांव की महिला में 24 मई काे अजमेर के अस्पताल में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। प्रशासन ने उसी दिन उसके करीबी संपर्क वाले 13 जनों को क्वारेंटाइन किया था। इनमें ड्राइवर लक्ष्मणलाल रैगर भी है। उसके पिता 50 वर्षीय मोहनलाल की मंगलवार काे माैत हाे गई। लक्ष्मण काे 24 मई काे क्वारेंटाइन सेंटर ले जाते समय माेहन राेने लगा था। काेराेना का खाैफ उसमें इतना था कि लक्ष्मण के अब कभी नहीं लाैटने की कहते हुए जब-तब सुबक पड़ता। मोहनलाल मंगलवार सुबह घर पर ही पत्थर की चारदीवारी बना रहा था। उसे कभी काेई बीमारी नहीं थी। लेकिन उस दिन 11 बजे के करीब अचानक तबीयत बिगड़ गई। क्वारेंटाइन सेंटर पर बेटे लक्ष्मण काे फोन पर िपता के अचेत हाेने की सूचना मिली।
लक्ष्मण ने सेंटर पर अधिकारियाें काे बताया लेकिन काेराेना संदिग्ध हाेने की आशंका पर उसे ले जाने की अनुमति नहीं मिली। परिवार के अन्य लाेग निजी वाहन से बीमार माेहन काे ब्यावर ले जा रहे थे कि रास्ते मे दम निकल गया। दाहसंस्कार में प्रशासन की कस्टडी में सेंटर से लक्ष्मणलाल को सीधे श्मशान घाट लाया गया। वह कांधा नहीं दे सका। तीन अन्य भाइयाें के साथ उसने मुखाग्नि दी।
कुछ दूर बैठाकर पिता के अंतिम दर्शन करवाए और वापस सेंटर लेकर आ गए। इधर, बुधवार को लक्ष्मणलाल की जांच रिपाेर्ट अाई जाे निगेटिव है। उसे घर भेज दिया गया। संक्रमण की आशंका मात्र से लक्ष्मणलाल अपने पिता को कांधा व मुखाग्नि नहीं दे सका। क्वारेंटाइन सेंटर के मेडिकल प्रभारी डाॅ. अरुण दिवाकर ने बताया कि पिता के बीमार हाेने की सूचना पर हमने भीलवाड़ा सूचना भिजवाई थी। कहा था कि लक्ष्मण की जांच रिपाेर्ट आ जाए ताे काेई निर्णय लें लेकिन रिपाेर्ट नहीं आई। बुधवार काे रिपाेर्ट आने पर लक्ष्मण काे घर भिजवा दिया।