कोरोना को फैलने से रोकने के लिए पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम रहा कर्फ्यू लगाकर लोगों को घरों में रोकना. इसके लिए प्रशासन ने जिले की सीमाएं सील की. इसके जरिये राज्य के अन्य जिलों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के नीमच को भी सुरक्षित रखा. दूसराअहम कदम रहा जिला अस्पताल में प्रदेश की राजधानी जयपुर के स्तर की इलाज की व्यवस्था मुहैया कराना. तीसरा कदम दवाओं की सप्लाई चेन को मेंटेन करना और चौथे कदम के तौर पर दिहाड़ी मजदूरों के साथ-साथ आम नागरिकों के लिए खाद्य सामग्री की समुचित सप्लाई की व्यवस्था करना. भीलवाड़ा प्रशासन ने ये 4 कदम उठाकर कोरोना के कदम थाम दिए और आधी लड़ाई जीत ली. उसके बाद घर घर किए गए सर्वे और डेटा सकंलन के साथ लगातार बरती जा रही एहतियात से अब वह धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा है.
भीलवाड़ा में मिले सभी 27 पॉजिटिव मरीज शहर के बांगड़ हॉस्पिटल से ही संबंधित थे. यानी इस संक्रमण का केन्द्र एक निजी अस्पताल ही था, लेकिन इसे ग्रामीण क्षेत्रों और पड़ोसी जिलों में रोकना बेहद जरूरी था. बांगड़ अस्पताल में इलाज करवाने आए लोगों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करना बेहद कठिन काम था. लेकिन जिला कलेक्टर ने गांव के स्तर पर सर्वे के लिए अतिरिक्त जिला कलेक्टर प्रशासन राकेश कुमार को यह कमान सौंपी. महज 7 दिन में जिले में 22 लाख से अधिक लोगों का सर्वे कर